एयर इंडिया को बेचने के लिए भी निवेशक की तलाश है. इसमें देरी हो रही है क्योंकि पहले सरकार इसमें 24% होल्डिंग रखना चाहती थी लेकिन अब सरकार इ
विनिवेश की धीमी रफ़्तार की वजह इसका विरोध भी है क्योंकि इससे नौकरियां जाने का ख़तरा है.
आरएसएस से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने भी सरकारी कंपनियों को प्राइवेट कंपनियों को बेचने का विरोध किया है.
क्योंकि प्राइवेट कंपनी किसी को भी नौकरी से निकाल सकती है. हालांकि अर्थशास्त्री विवेक कौल कहते हैं कि नौकरी से निकालने का मतलब ये नहीं है कि कर्मचारी सड़क पर आ जाएंगे. स्टाफ़ को वीआरएस (voluntary retirement scheme) देना पड़ेगा, प्रोविडेंट फण्ड देना पड़ता है और उन्हें ग्रेच्युटी देनी पड़ेगी.
पिछली बार एनडीए सरकार ने 1999 से 2004 के बीच भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिए विनिवेश का तरीका अपनाया था. तब इसके लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया था.
ये कवायद कांग्रेस सरकार की भी रही है लेकिन फ़िलहाल वो एनडीए सरकार के क़दम की आलोचना कर रही है.
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोड
इस समिति में राजनाथ सिंह के अलावा फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, ए राजा, सुप्रिया सुले, मीनाक्षी लेखी, राकेश सिंह, शरद पवार, सौगत रॉय और जेपी नड्डा भी हैं.
कांग्रेस सचिव प्रणव झा ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से कहा है कि बीजेपी को इस फ़ैसले पर फिर से विचार करना चाहिए.
उन्होंने ये भी कहा कि जिन लोगों के ख़िलाफ़ कोर्ट में मामला चल रहा है उन्हें समिति में लाना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. सब कुछ संविधान के निर्देशन में नहीं होता कुछ फ़ैसले नैतिक आधार पर भी लेने होते हैं.
से को देशभक्त बताया था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था
बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य रह चुकी हैं.
उन्होंने इस साल लोकसभा चुनाव में भोपाल से जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को हराया था. वे अपने बयानों को लेकर विवादों में भी रही थीं.
साल 2008 के मालेगाँव ब्लास्ट में वे अभियुक्त भी हैं.
महाराष्ट्र के मालेगाँव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे.
इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी. एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक़ यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी.
इस मामले में एनआईए कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को ज़मानत दे दी थी लेकिन उन्हें दोषमुक्त नहीं माना था और दिसंबर 2017 में दिए अपने आदेश में कहा था कि प्रज्ञा पर यूएपीए (अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेंशन एक्ट) के तहत मुक़दमा चलता रहेगा.
प्रज्ञा ठाकुर पर समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले के अभियुक्त सुनील जोशी की हत्या का आरोप भी लगा था. जोशी की 29 दिसंबर 2007 को हत्या कर दी गई थी.
अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में भी प्रज्ञा ठाकुर का नाम आया था लेकिन अप्रैल 2017 में एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर, आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार और दो अन्य के ख़िलाफ़ राजस्थान की स्पेशल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी.
कि इसे बयान के लिए वो उन्हें कभी दिल से माफ़ नहीं कर पाएंगे.
कांग्रेस ने ये भी लिखा, "आख़िरकार मोदी जी ने प्रज्ञा ठाकुर को दिल से माफ़ कर ही दिया! आतंकवादी हमले की अभियुक्त को रक्षा मंत्रालय की समिति में जगह देना उन वीर जवानों का अपमान है, जो आतंकवादियों से देश को महफ़ूज रखते हैं."
से पूरी तरह बेचने को तैयार है.
मध्य प्रदेश के भोपाल से बीजेपी सांसद
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की 21 सदस्यीय संसदीय
सलाहकार समिति में शामिल किया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिति
की अध्यक्षता करेंगे.
प्रज्ञा ठाकुर को समिति का सदस्य बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने इसे देश का अपमान बताया है. प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 के मालेगाँव ब्लास्ट मामले में अभियुक्त हैं. फिलहाल वो स्वास्थ्य कारणों से ज़मानत पर बाहर हैं.
कांग्रेस ने उनके चयन को लेकर अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, "आतंक की अभियुक्त और गोडसे की कट्टर समर्थक प्रज्ञा ठाकुर को बीजपी ने रक्षा मामलों पर संसदीय समिति के सदस्य के तौर पर नामित किया है. यह क़दम हमारे देश के सुरक्षा बलों, माननीय सांसदों और हर भारतीय का अपमान है."